रविवार, 24 सितंबर 2017

ना तुझको है खबर, ना किसी को है पता,
दर्द-ए  -दिलें दास्ताँ , कैसे करूँ मै बयां !
बोल दूँ तुझे तो खो दूँगा ,
ये मुझको है खबर, ये मुझको है पता !
तू नादान है, तू अनजान है,
दिल की इस वीरान नगरी में,
तू एक मनपसंद मेहमान है,
आरज़ू है की रोक लू तुझे,
मगर कैसे भूल जाऊ की तू किसी और दिल का भी तो अरमान  है !
तू जा रही है आने के लिए,
या जा रही है दिल दुखाने के लिए,
मगर, फिर भी तू, दिल का मनपसंद मेहमान है
फिर भी तू, दिल का मनपसंद मेहमान है !!

~ तुषार शर्मा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें