शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2016

वो मेरी !

मुकम्मल मेरी ज़िन्दगी जिसपे ,
वो इक खता सी, इक ज़ुबा सी,
मेरा आसमाँ ये ज़मी जिसकी ,
वो इक परी सी, इक पंछी सी !!

हो जहाँ भी, सिर्फ वो ही हो,
वो जो मेरी सी, थोड़ी पराई सी,
मौला खुदाया दे दो उसको,
वो जो ख़ुशी सी, इक रात सी !!

बारिश जैसी पिघली खामोशियां ,
वो इक शरारत सी, इक ख़ामोशी सी,
संगमरमर सी ख़ूबसूरती जिसकी,
वो थोड़ी अपनी सी, थोड़ी पराई सी!



गुरुवार, 6 अक्टूबर 2016

उसकी याद !

आज अचानक से उसकी याद आई,
फिर उस समां , उस परवीन की याद आई ,
वो गुलशनों से भरी रौनक सी ,
वो मेरी हवाओं का समन्दर ,
वो मेरे ख़्वाबों का परवाना ,
आज फिर से इस दिल को छूने आई,
आज अचानक से उसकी याद आई !

वो हँसती , फूलों सी महकती हुई ,
वो कभी नीम तो कभी शहद हुई,
वो कभी आग सी धधकती हुई,
तो कभी हवाओं में बलखाती हुई ,
आज फिर से इस दिल को छूने आई,
आज अचानक से उसकी याद आई !

वो गुड़िया, जैसे हो प्यार की इक पुड़िया,
 वो मेरी हस्ती, वो  जैसे मेरी पूरी दुनिया ,
कभी दूर तो कभी वो बहुत पास हुई,
तो कभी सिर्फ एक अहसास सी हुई  ,
आज फिर से इस दिल को छूने आई,
आज अचानक से उसकी याद आई !

वो जिसके बिना अधूरी हर साँस ,
वो जो मेरे जीने की इक आस,
आज ठानी की आज उसको सब कहना है,
तुम अगर साथ हो तो ही मुझे जिन्दा रहना है,
वही, आज फिर से इस दिल को छूने आई ,
आज अचानक से उसकी याद आई !!!