शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2016

वो मेरी !

मुकम्मल मेरी ज़िन्दगी जिसपे ,
वो इक खता सी, इक ज़ुबा सी,
मेरा आसमाँ ये ज़मी जिसकी ,
वो इक परी सी, इक पंछी सी !!

हो जहाँ भी, सिर्फ वो ही हो,
वो जो मेरी सी, थोड़ी पराई सी,
मौला खुदाया दे दो उसको,
वो जो ख़ुशी सी, इक रात सी !!

बारिश जैसी पिघली खामोशियां ,
वो इक शरारत सी, इक ख़ामोशी सी,
संगमरमर सी ख़ूबसूरती जिसकी,
वो थोड़ी अपनी सी, थोड़ी पराई सी!



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